आज की नारी
आज नारी की स्थिति का वर्णन अलग-अलग वर्गों में किया जा सकता है। कहीं पर वह सशक्त है, समर्थ है तो कहीं न तो समर्थ है न ही सशक्त परंतु सुखी है। शेष नारियाँ अधीन हैं। हाँ, पुरुषों के अधीन। वह स्वयं कोई निर्णय नहीं ले सकती या उसे इस योग्य माना ही नहीं जाता।
अत: कहा जा सकता है कि वर्तमान में नारी तीन हिस्सों में बँटी हुई है। एक, उच्च वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे सशक्त नारी का दर्जा दिया जा सकता है। वह अपने हित, अपनी हैसियत, अपना लक्ष्य स्वयं तय करती है। यानी वह समर्थ है। उस पर पुरुष का कोई वश नहीं चलता। वह इरादों की पक्की है। आज जिस तरह से नारी की स्थिति को लेकर बताया जाता है वास्तव में ऐसा नहीं है।
आज नारी में काफी बदलाव आ गया है। अब नारी महज रसोई तक सिमटी नहीं है, न ही वह भोग्या है। अब वह पुरुष से कहीं आगे निकल चुकी है। नारी का एक वर्ग ऐसा भी है जो संभ्रांत वर्ग की तो है लेकिन वह है परतंत्र। ऊपर से वह स्वतंत्र नजर आती है लेकिन अंदर-अंदर घुटन भरी जिंदगी जीने को विवश है। उसे किचन से लेकर ऑफिस तक हर जगह खपना पड़ता है। सुबह से पति के लिए नाश्ता, टिफिन, फिर बच्चों के लिए और देवर, सास-ससुर के लिए, फिर स्वयं के ऑफिस जाने की तैयारी- क्या-क्या नहीं करना पड़ता है उसे। ऐसी जिंदगी पहले से ज्यादा जटिल हो गई है। पहले तो सिर्फ घर की चहारदीवारी में ही कैद होकर रहना पड़ता था परंतु अब तो घर में घरवालों की सुनो ऑफिस में बॉस की।
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