आदर्श नागरिक
एक व्यक्ति जो अपने कर्तव्यों और अपने समाज में अधिकारों के प्रति जागरूक है एक अच्छा नागरिक है. वह जानता है कि वह समूह जिसके साथ वह एक हजार और एक रिश्ते से जुड़ा हुआ है की एक सदस्य है. वह जानता है कि वह समाज के अन्य सदस्यों के साथ सद्भाव में जीना चाहिए. आदमी एक समाज के बिना नहीं लाइन कर सकते हैं. वह अकेला नहीं रह सकता. वह अपने साथी मनुष्यों के साथ जीना चाहिए. लेकिन एक ऐसे समाज में रहते हैं कि समाज के अन्य सदस्यों के साथ सहयोग का मतलब है.
नागरिक के आचरण की ; उसकी अच्छाई-बुराई की कसौटी समाज-हित है। आदर्श नागरिक को अपनी आत्मा का निरन्तर विस्तार और विकास करते रहना चाहियें तथा समस्त वसुन्धरा के सुखों में ही अपना सुख समझना चाहिए।इस प्रकार आदर्श नागरिक न केवल किसी एक राष्ट्र अथवा राज्य का ही नागरिक होगा, वरन् वह विश्व नागरिक के गौरवमय पद को प्राप्त कर सकेगा। अखिल विश्व के कल्याण के लिये उसे अपना देश त्याग देना चाहिए, अर्थात् अधिकतम लोगों के अधिकतम सुख को अपने नागरिक आचरण की कसौटी मान लेना चाहिए।
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