अपहरण की समस्या
सरकार अभी अपहरण की समस्या से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई हो लेकिन
बीमा कंपनियाँ इस धंधे में भी मुनाफ़े की संभावनाएँ देख रही हैं.
निजी बीमा कंपनियों को उम्मीद है कि अपहरण के जोख़िम का बीमा बेचकर मुनाफ़ा कमाया जा
सकता है.
बीमा क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि नोएडा, गाजियाबाद और दूसरे इलाक़ों में अपहरण की
वारदातें बढ़ी हैं जिससे लोगों में इस तरह के बीमा के प्रति रुझान बढ़ा है.
लैटिन अमरीका, मध्य-पूर्व और एशिया के कई देश अपहरण के लिए कुख्यात हैं. इन देशों में
अपहरण ने एक संगठित अपराध का रूप ले लिया है.
बीमा कंपनियाँ अपने व्यवसाय के लिए इन्ही देशों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही हैं.
बीमा
अपहरण के जोख़िम का बीमा करने वाली निजी कंपनियों में टाटा-एआईजी, आईसीआईसीआई
लोम्बार्ड और एचडीएफसी प्रमुख हैं.
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के प्रबंधक अनुज त्यागी कहते हैं कि इस
पॉलिसी में अपहरण से जुड़े कई तरह के ख़र्चों की भरपाई शामिल
है.
वे बताते है, “बड़े समूह अपने कर्मचारियों के लिए इस तरह की बीमा पॉलिसी लेती हैं. अगर उनके
कर्मचारी का अपहरण हो जाए तो उसे वापस लाने के लिए जो भी खर्चे होंगे उसका भुगतान बीमा
कंपनी करेगी. इस दौरान पीड़ित व्यक्ति को कोई चोट लगने, मानसिक रूप से सदमा लगने या
पुनर्वास का भुगतान भी बीमा कंपनी करेगी.”
अपहरण की बीमा पॉलिसी को लेकर उद्योग-व्यापार जगत में भी मिला जुला रूझान देखने को
मिल
रहा है.
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