विज्ञापन
आज के युग में विज्ञापनों का महत्व स्वयंसिद्ध है। जूते - चप्पल से लेकर टाई - रूमाल तक हर चीज विज्ञापित हो रही है। लिपस्टीक, पावडर, नेलपालिश, माथे की बिन्दिया विज्ञापनों का विषय है। नमक जैसी आम इस्तेमाल की वस्तुएँ भी विज्ञापनो से अछूती नहीं रह पायी है। बाजार में बढती प्रतिद्वन्द्विता और विज्ञापनो के बढ़ते प्रभाव को लेकर तरह-तरह की आशाएं - आशंकाएँ उपभोक्ताओं में है, परन्तु सिक्के का दूसरा पहलू भी है। विज्ञापन अपने छोटे से संरचना में बहुत कुछ समाये होते है। वह बहुत कम बोलकर भी बहुत कुछ कह जाते है। यदि विज्ञापनों के इस गुण और ताकत को हम समझने लगें तो अधिकांश विज्ञापन हमारे सामने कोई आक्रमणकारी अस्त्र न रहकर कला के श्रेष्ठ नमूने बनकर उभरेंगे।
आज विज्ञापन हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है, सुबह आंख खुलते ही चाय की चुस्की के साथ अख़बार में सबसे पहले नज़र विज्ञापन पर ही जाती है। घर के बाहर पैर रखते ही हम विज्ञापन की दुनिया में घिर जाते है। चाय की दुकान से लेकर वाहनों और दिवारों तक हर जगह विज्ञापन ही विज्ञापन दिखाई देते हैं ।
No comments:
Post a Comment