Tuesday 31 December 2013

मेरा प्यारा भारत

मेरा प्यारा भारत



मेरे देश का नाम भारत है। भारत को इंडिया तथा हिंदुस्तान नाम से भी जाना जाता है। मेरे देश 

की जनसंख्‍या लगभग 1 अरब 21 करोड़ है। यहां अनेक भाषाओं और बोलियों को बोलने वाले 

लोग निवास करते हैं। 

मेरा देश धार्मिक विविधता वाला देश है। हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, मुस्लिम आदि धर्मों को 

यहां एक समान दृष्टि से देखा जाता है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है।भारत की सभ्यता और 

संस्कृति दुनिया भर में विख्‍यात है। इसी से अभिभूत होकर लाखों विदेशी नागरिक प्रतिवर्ष यहां 

घूमने के लिए आते हैं। 




यहां अनेक संत और महात्माओं ने जन्म लिया है। राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, कबीर, गांधी आदि 

महापुरुष हमारे आदर्श रहे हैं।महान हिमालय से रक्षित तथा पवित्र गंगा से सिंचित हमारा भारत 

एक स्वतंत्र आत्मनिर्भर देश है। मेरा देश लोकतंत्र में विश्वास रखता है। यहां सभी को उन्नति 

करने के समान अवसर प्राप्त हैं। 

आदर्श नागरिक

आदर्श नागरिक




एक व्यक्ति जो अपने कर्तव्यों और अपने समाज में अधिकारों के प्रति जागरूक है एक अच्छा नागरिक है. वह जानता है कि वह समूह जिसके साथ वह एक हजार और एक रिश्ते से जुड़ा हुआ है की एक सदस्य है. वह जानता है कि वह समाज के अन्य सदस्यों के साथ सद्भाव में जीना चाहिए. आदमी एक समाज के बिना नहीं लाइन कर सकते हैं. वह अकेला नहीं रह सकता. वह अपने साथी मनुष्यों के साथ जीना चाहिए. लेकिन एक ऐसे समाज में रहते हैं कि समाज के अन्य सदस्यों के साथ सहयोग का मतलब है. 

नागरिक के आचरण की ; उसकी अच्छाई-बुराई की कसौटी समाज-हित है। आदर्श नागरिक को अपनी आत्मा का निरन्तर विस्तार और विकास करते रहना चाहियें तथा समस्त वसुन्धरा के सुखों में ही अपना सुख समझना चाहिए।इस प्रकार आदर्श नागरिक न केवल किसी एक राष्ट्र अथवा राज्य का ही नागरिक होगा, वरन् वह विश्व नागरिक के गौरवमय पद को प्राप्त कर सकेगा। अखिल विश्व के कल्याण के लिये उसे अपना देश त्याग देना चाहिए, अर्थात् अधिकतम लोगों के अधिकतम सुख को अपने नागरिक आचरण की कसौटी मान लेना चाहिए।

Monday 30 December 2013

पुस्तकालय

पुस्तकालय




पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान पुस्तकालय विज्ञान वह विज्ञान है जिसके अंतर्गत पुस्तकालयों में संपन्न किये जाने वाले कार्यप्रणालियों से सम्बंधित विशिष्ट प्रविधियों ,तकनीकियों, एवं प्रक्रियायों का अध्ययन एवं अध्यापन किया जाता है. पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान की शिक्षा के माध्यम से ही पुस्तकालयों का व्यस्थापन तथा संचालन हेतु योग्य और कुशल कर्मचारियों को तैयार किया जाता है .पुस्तकालय विज्ञान तकनीकी विषयों की श्रेणी में आता है तथा एक सेवा सम्बन्धी व्यवसाय है. यह प्रबंधन, सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षाशास्त्र एवं अन्य विधाओं के सिद्धान्तो एवं उपकरणों का पुस्तकालय के सन्दर्भ में उपयोग करता है। पुस्तकालय विकासशील संस्था है क्योंकि उसमें पुस्तकों और अन्य आवश्यक उपादानों की निरंतर वृद्धि होती रहती है। इस कारण इसकी स्थापना के समय ही इस तथ्य पर ध्यान देना आवश्यक होता है।यह संचरण इकाइयों के इतिहास ,संगठन, प्रबंधन ,विभिन्न तकनीको ,सेवाओं ,समाज के प्रति उनके कर्तव्यों तथा सामान्य कार्य कलापों का सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक अध्ययन पर आधारित एक वृहद् विषय है .इसका आकार - प्रकार तथा परिसीमा विषय व् सूचना जगत के साथ निरंतर बदलता रहता है .इसलिए पुस्तकालय विज्ञान की शिक्षा में पुस्तकालय की विभिन्न तकनीकियों एवं प्रविधियों के साथ -साथ पुस्तकालय सम्बन्धी विभिन्न सेवाओं का भी पर्याप्त ज्ञान एवं जानकारी प्रदान की जाती है।१९ वीं शताब्दी के प्रारंभ होने तक पुस्तकालय शिक्षा प्रदान करने की कोई आवश्यकता नहीं समझी जाती थी क्योंकि तब यह माना जाता था कि पुस्तकालय की व्यवस्था एवं संचालन के लिए किसी विशेष रूप से शिक्षित अथवा प्रशिक्षित व्यक्ति की आवश्यकता नहीं है ।

विज्ञापन

विज्ञापन




आज के युग में विज्ञापनों का महत्व स्वयंसिद्ध है। जूते - चप्पल से लेकर टाई - रूमाल तक हर चीज विज्ञापित हो रही है। लिपस्टीक, पावडर, नेलपालिश, माथे की बिन्दिया विज्ञापनों का विषय है। नमक जैसी आम इस्तेमाल की वस्तुएँ भी विज्ञापनो से अछूती नहीं रह पायी है। बाजार में बढती प्रतिद्वन्द्विता और विज्ञापनो के बढ़ते प्रभाव को लेकर तरह-तरह की आशाएं - आशंकाएँ उपभोक्ताओं में है, परन्तु सिक्के का दूसरा पहलू भी है। विज्ञापन अपने छोटे से संरचना में बहुत कुछ समाये होते है। वह बहुत कम बोलकर भी बहुत कुछ कह जाते है। यदि विज्ञापनों के इस गुण और ताकत को हम समझने लगें तो अधिकांश विज्ञापन हमारे सामने कोई आक्रमणकारी अस्त्र न रहकर कला के श्रेष्ठ नमूने बनकर उभरेंगे।

आज विज्ञापन हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है, सुबह आंख खुलते ही चाय की चुस्की के साथ अख़बार में सबसे पहले नज़र विज्ञापन पर ही जाती है। घर के बाहर पैर रखते ही हम विज्ञापन की दुनिया में घिर जाते है। चाय की दुकान से लेकर वाहनों और दिवारों तक हर जगह विज्ञापन ही विज्ञापन दिखाई देते हैं ।

प्राकृतिक आपदा

प्राकृतिक आपदा 





एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक जोखिम  का ही परिणाम है (जैसे की ज्वालामुखी विस्फोट भूकंप, या भूस्खलन  जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है.मानव दुर्बलताओं को उचित योजना और आपातकालीन प्रबंधन  का आभाव और बढ़ा देता है, जिसकी वजह से आर्थिक, मानवीय और पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है.परिणाम स्वरुप होने वाली हानि निर्भर करती है जनसँख्या की आपदा को बढ़ावा देने या विरोध करने की क्षमता पर, अर्थात उनके लचीलेपन पर. ये समझ केंद्रित है इस विचार में: "जब जोखिम और दुर्बलता का मिलन होता है तब दुर्घटनाएं घटती हैं". जिन इलाकों में दुर्बलताएं निहित न हों वहां पर एक प्राकृतिक जोखिम कभी भी एक प्राकृतिक आपदा में तब्दील नहीं हो सकता है, उदहारण स्वरुप, निर्जन प्रदेश में एक प्रबल भूकंप का आना.बिना मानव की भागीदारी के घटनाएँ अपने आप जोखिम या आपदा नहीं बनती हैं, इसके फलस्वरूप प्राकृतिक शब्द को विवादित बताया गया है.

Sunday 29 December 2013

महानगरों मे महिलाओं की सुरक्षा

महानगरों मे महिलाओं की सुरक्षा 



आज महानगर औरतों की सुरक्षा की दृष्टि से बदनाम हो रहे हैं। यहाँ दिन-दहाड़े औरतों के साथ जिस तरह की वारदातें हो रही हैं, वे महानगरों के लिए शर्मनाक बात है। महानगर में गाँव से बच्चे पढ़ने-लिखने और नौकरी करने आते हैं। गाँव में उन्हें इस प्रकार की सुविधाएँ प्राप्त नहीं होती है कि वह वहाँ रहकर करें। उन्हें विवशतावश यहाँ आना पड़ता है। जबसे समय बदल रहा है। लड़कियाँ भी बड़े पैमाने पर यहाँ आ रही है। लेकिन जिस सुरक्षा के भाव को लेकर ये लड़कियाँ महानगरों में आ रही है, वह कहीं व्याप्त नहीं होता है। आज हर तीसरे दिन लड़कियों के साथ छेड़छाड़, हत्या, बलात्कार के मामले देखने में आते हैं। पुलिस और प्रशासन इस विषय में स्वयं को दुविधा में पाते हैं। उनके द्वारा जितने भी वादे किए गए हैं, वे सब खोखले सिद्ध हो रहे हैं।

Tuesday 24 December 2013

अपहरण की समस्या

अपहरण की समस्या 

सरकार अभी अपहरण की समस्या से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई हो लेकिन 

बीमा कंपनियाँ इस धंधे में भी मुनाफ़े की संभावनाएँ देख रही हैं.

निजी बीमा कंपनियों को उम्मीद है कि अपहरण के जोख़िम का बीमा बेचकर मुनाफ़ा कमाया जा 

सकता है.

बीमा क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि नोएडा, गाजियाबाद और दूसरे इलाक़ों में अपहरण की 

वारदातें बढ़ी हैं जिससे लोगों में इस तरह के बीमा के प्रति रुझान बढ़ा है.

लैटिन अमरीका, मध्य-पूर्व और एशिया के कई देश अपहरण के लिए कुख्यात हैं. इन देशों में 

अपहरण ने एक संगठित अपराध का रूप ले लिया है.

बीमा कंपनियाँ अपने व्यवसाय के लिए इन्ही देशों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही हैं.

बीमा

अपहरण के जोख़िम का बीमा करने वाली निजी कंपनियों में टाटा-एआईजी, आईसीआईसीआई 

लोम्बार्ड और एचडीएफसी प्रमुख हैं.




आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के प्रबंधक अनुज त्यागी कहते हैं कि इस 

पॉलिसी में अपहरण से जुड़े कई तरह के ख़र्चों की भरपाई शामिल 

है.

वे बताते है, “बड़े समूह अपने कर्मचारियों के लिए इस तरह की बीमा पॉलिसी लेती हैं. अगर उनके 

कर्मचारी का अपहरण हो जाए तो उसे वापस लाने के लिए जो भी खर्चे होंगे उसका भुगतान बीमा 

कंपनी करेगी. इस दौरान पीड़ित व्यक्ति को कोई चोट लगने, मानसिक रूप से सदमा लगने या 

पुनर्वास का भुगतान भी बीमा कंपनी करेगी.”

अपहरण की बीमा पॉलिसी को लेकर उद्योग-व्यापार जगत में भी मिला जुला रूझान देखने को 

मिल 

रहा है.